Tum Se Tum Tak।।अनु को मिला आर्य की मां का प्यार और आशीर्वाद।।Upcoming Twist। मानसी बनी नई मुसीबत।।

आर्य समझ तो गया था कि मां कुछ जरूरी बात करना चाहती हैं। लेकिन वह यह अंदाजा नहीं लगा पाया कि बात कहां तक जाएगी। जब वह मां के कमरे में पहुंचा तो देखा कि मां मंदिर के सामने बैठी हैं। हाथ जोड़कर प्रार्थना कर रही हैं और उनकी आंखों में नमी थी। आर्य ने धीरे से आवाज दी। मां आपने बुलाया। मां ने उसकी ओर देखा। एक पल के लिए चुप रही। फिर धीमे स्वर में बोली आर्य बैठो। कुछ जरूरी बात करनी है तुमसे। आर्य मां के पास बैठ गया। मां ने उसका हाथ थाम लिया और कहा, बेटा, तुम्हें पता है कि मैं हमेशा तुम्हारे फैसलों का सम्मान करती रही

हूं। लेकिन एक मां होने के नाते कुछ जिम्मेदारियां होती हैं। कुछ सपने होते हैं जो वह अपने बेटे के लिए देखती है। तुम्हारी शादी को लेकर मैंने हमेशा तुम्हारी पसंद का इंतजार किया। लेकिन अब वक्त आ गया है कि मैं एक मां के तौर पर अपना मन तुम्हारे सामने रखूं। आर्य थोड़दा असमंजस में था। उसने कहा मां आप साफ-साफ कहिए आप क्या चाहती हैं? मां ने एक गहरी सांस ली और कहा, “मैं चाहती हूं कि तुम अनु से शादी कर लो।” यह सुनकर आर्य के चेहरे पर आश्चर्य की लहर दौड़ गई। अनु वही अनु जो बचपन से उसके साथ बली बढ़ी उसकी

सबसे अच्छी दोस्त रही। मां ने आगे कहा अनु एक अच्छी लड़की है। उसने इस परिवार के लिए जो किया है वह कोई और नहीं कर सकता। जब तुम्हारे पापा की तबीयत खराब हुई थी। उसने घर की जिम्मेदारी बिना कहे उठा ली थी। जब तुम्हारी बहन की शादी टूटने की कगार पर थी। अनु ने ही समझदारी से सब कुछ संभाला था। ऐसे में क्या वह इस घर की बहू नहीं बन सकती? आर्य चुपचाप मां की बातें सुन रहा था। मां ने उसकी आंखों में देखा और कहा, “मुझे पता है कि तुम्हारे दिल में कुछ और है। शायद किसी और के लिए भावनाएं रही हो, लेकिन समय और परिस्थिति बहुत कुछ बदल

देते। हैं। और मैं देख रही हूं कि अनु के दिल में तुम्हारे लिए क्या है। वह तुम्हें बहुत मानती है। तुम्हारी परवाह करती है। क्या? तुम उस लड़की को जीवन साथी बनाकर अपने और उसके जीवन को एक नई दिशा नहीं दे सकते। आर्य गहरी सोच में डूब गया। मां की बातें उसके दिल को छू गई थी। उसे अनु की याद आने लगी। कैसे वह हर वक्त उसके साथ खड़ी रहती थी। कैसे उसके हर दुख में सहभागी बनती थी। लेकिन आर्य को यह निर्णय लेना आसान नहीं था। मां ने फिर कहा, “मैं तुम पर जोर नहीं डाल रही, लेकिन एक बार दिल से सोचो। अगर तुम्हें लगे कि अनु

तुम्हारे जीवन में एक सही साथी बन सकती है तो मैं सबसे ज्यादा खुश हंगी। आर्य ने मां की बातों का कोई उत्तर नहीं दिया। बस धीरे से उनका हाथ थाम लिया और वहां से उठकर अपने कमरे की ओर चल दिया। कमरे में जाकर आर्य ने अपनी पुरानी यादों के पन्ने पलटना शुरू किया। अनु के साथ बिताए हर लम्हे को याद किया। स्कूल के दिनों से लेकर कॉलेज तक हर त्यहार, हर छोटी बड़ी बातों में अनु की उपस्थिति जैसे उसकी जिंदगी का हिस्सा रही हो। अनु कभी उसकी भावनाओं का मजाक नहीं उड़ाती थी। हमेशा गंभीरता से समझती और उसका साथ देती थी। दूसरी ओर अनु अपने

कमरे में बैठी थी। उसका मन बेचैन था। वह जानती थी कि आज आर्य की मां ने उससे कुछ ऐसा कहा है जो आर्य के जीवन का रास्ता बदल सकता है। अनु ने कभी नहीं चाहा था कि वह आर्य पर किसी तरह का दबाव डाले। लेकिन वह आर्य को एक साथी के रूप में चाहने लगी थी। अनु की मां ने कमरे में आकर उससे पूछा। बिटिया सब ठीक है। अनु ने एक फीकी मुस्कान के साथ कहा, हां मां सब ठीक है। लेकिन आज आर्य की मां ने कुछ ऐसा कहा है जो शायद मेरी जिंदगी बदल दे। मां ने पूछा क्या कहा उन्होंने? अनु ने धीरे से कहा उन्होंने आर्य से मेरी शादी की बात की है। अनु की

मां चुप हो गई। उन्हें भी इस बात का अंदाजा था कि एक दिन ऐसा कुछ जरूर होगा। लेकिन वह नहीं जानती थी कि इतना जल्दी होगा। अनु ने कहा, मैं नहीं चाहती कि आर्य किसी दबाव में आकर कोई फैसला ले। अगर उसके दिल में मेरे लिए कुछ भी नहीं है, तो मैं उसकी जिंदगी में नहीं आना चाहती। मां ने अनु को गले लगा लिया और कहा बिटिया तुम्हारा प्यार सच्चा है और सच्चा प्यार कभी खाली नहीं जाता। अगर किस्मत में है तो सब कुछ अपने आप ठीक होगा। इसी बीच आर्य ने एक फैसला लिया। वह अनु से मिलने गया लेकिन उससे कुछ नहीं कहा। बस उसकी आंखों में

देखा और फिर चुपचाप वहां से चला गया। अनु कुछ समझ नहीं पाई कि वह क्यों आया था और बिना कुछ बोले चला गया। रात को जब आर्य अपने कमरे में बैठा था तो उसके मन में सवालों का तूफान चल रहा था। क्या वह अनु के साथ एक नई शुरुआत कर सकता है? क्या वह अपने मन की दुविधा को पीछे छोड़कर अनु को अपना जीवन साथी बना सकता है? उस रात वह ठीक से सो नहीं सका। सुबह होते ही उसने मंदिर जाकर भगवान से प्रार्थना की। अगर अनुही मेरे लिए सही है तो मुझे रास्ता दिखाओ। उसी दिन आर्य ने मां से कहा, मां आप ठीक कह रही थी। अनु ही मेरी सच्ची साथी

है। मां की आंखों में खुशी के आंसू आ गए। उन्होंने आर्य को गले लगा लिया और कहा मैं जानती थी बेटा एक दिन तुम यह समझोगे। इधर अनु को जब यह बात पता चली तो उसकी आंखों में भी आंसू आ गए। आर्य ने जब उससे कहा, अनु, क्या तुम मेरी जिंदगी में हमेशा के लिए आओगी? अनु ने बिना कुछ कहे सिर्फ सिर हिला दिया और दोनों की आंखों में एक नई दुनिया बस गई। अनु और आर्य की सगाई की तैयारियां पूरे जोर शोर से शुरू हो चुकी थी। आर्य की मां हर छोटी बड़ी बात का ध्यान रख रही थी। मेहंदी का डिजाइन हो या हल्दी की रस्म की सजावट हर चीज में अनु की

पसंद शामिल थी। अनु को यह देखकर आश्चर्य हो रहा था कि वह परिवार का हिस्सा पहले से ही थी। लेकिन अब उसे वह आधिकारिक रूप मिल रहा था। इसी बीच कहानी में एक नया मोड़ आया जब आर्य के पुराने दोस्त राघव की वापसी हुई। राघव और अनु कभी अच्छे दोस्त हुआ करते थे। लेकिन अब राघव को देखकर अनु की आंखों में एक अजीब सी बेचैनी उभर आई। आर्य ने इस परिवर्तन को नोटिस किया। लेकिन उसने अनु से कुछ नहीं कहा। राघव ने जब अनु से अकेले में बात की तो वह बोला तुम सच में आर्य से शादी कर रही हो। अनु ने झिझकते हुए कहा हां और मुझे उम्मीद है कि

तुम हमारे लिए खुश होगे। राघव ने फीकी मुस्कान के साथ सिर हिलाया। लेकिन उसकी आंखों में कुछ और था। शायद एक अधूरी चाहत या पुराना जख्म। इस बातचीत के बाद अनु का मन बेचैन रहने लगा। वह खुद से सवाल करने लगी। क्या वह सच में आर्य से प्यार करती है या सिर्फ परिस्थितियों के कारण यह रिश्ता स्वीकार कर रही है? लेकिन जब भी वह आर्य को देखती, उसके मन का हर संदेह मिट जाता। आर्य भी राघव और अनु की पुरानी दोस्ती को लेकर थोड़ा असहज महसूस कर रहा था। उसने यह बात मां से साझा की। मां ने कहा हर इंसान का अतीत होता है। बेटा जरूरी

यह है कि तुम दोनों का भविती श एक दूसरे से जुड़ा है या नहीं। अगर तुम्हारा भरोसा मजबूत है तो कोई भी अतीत उसे नहीं डिगा सकता। आर्य को मां की बात ने फिर से स्थिर कर दिया। उसने अनु से सीधे बात की। अनु क्या तुम मुझसे अपने दिल की बात करना चाहोगी? अनु ने कुछ पल चुप रहकर कहा। आर्य तुम मेरे सबसे अच्छे दोस्त रहे हो। लेकिन आज जब हम जीवन साथी बनने की ओर बढ़ रहे हैं तो मुझे लगता है कि हमें एक दूसरे को और भी बेहतर समझने की जरूरत है। मैं चाहती हूं कि हम शादी से पहले कुछ समय एक दूसरे को नए नजरिए से जाने। आर्य ने मुस्कुराकर

कहा यह तो और भी अच्छा है। दोस्ती के बाद अब प्रेम को समझना है। और यहीं से शुरू हुआ उनका एक नया अध्याय। सगाई के बाद विवाह से पहले का समय जिसमें उन्होंने एक दूसरे के सपनों, पसंद नापसंद और डर को करीब से जाना। अनु को संगीत बहुत पसंद था। जबकि आर्य को फोटोग्राफी दोनों ने एक दूसरे को अपने शौक में शामिल करना शुरू किया। अनु आर्य के साथ फोटोग्राफी ट्रिप्स पर जाने लगी और आर्य अनु के साथ संगीत सभाओं में इस समय ने उनके रिश्ते को और भी मजबूत कर दिया। शादी की तारीख जैसे-जैसे नजदीक आ रही थी, एक बार फिर एक ट्विस्ट ने

दस्तक दी। राघव ने अनु से आखिरी बार मिलने की बात की। अनु ने आर्य को सब बताया। आर्य ने पूरी ईमानदारी और विश्वास के साथ अनु को कहा, अगर तुम्हें लगता है कि तुम्हें उससे मिलना चाहिए तो जरूर मिलो। मैं जानता हूं कि तुम मेरी हो और मेरा विश्वास तुम्हारे फैसले से डगमगाएगा नहीं। राघव और अनु की वह मुलाकात भावनात्मक थी। राघव ने कहा, शायद मुझे अपने जज्बात बहुत पहले कह देने चाहिए थे। लेकिन अब बहुत देर हो चुकी है। मैं तुम्हारे लिए सिर्फ अच्छे की कामना करता हूं। अनु ने मुस्कुराकर कहा, शायद जो कुछ भी हुआ, वह हमें हमारे सही

रास्ते पर लाने के लिए ही था। और यहीं पर राघव और अनु का अध्याय समाप्त हो गया। शांति और सम्मान के साथ शादी का दिन आ पहुंचा। आर्य हल्दी में पीला और खुशी से दमक रहा था। वहीं अनु का लहंगा पूरे घर में रोशनी फैला रहा था। समारोह में हर कोई भावुक था। लेकिन सबसे ज्यादा आर्य की मां जो बार-बार भगवान का धन्यवाद कर रही थी कि उनका बेटा और उसकी जीवन संगिनी दोनों उनकी पसंद के साथ-साथ उनकी आत्मा की संतुष्टि भी बन गए। विवाह मंडप में जब अनु और आर्य ने एक दूसरे की आंखों में देखा तो वहां कोई संशय नहीं था। सिर्फ प्रेम सम्मान और समझदारी की गहराई

Spread the love

Leave a Comment